महाशिवरात्रि का महत्व
"महाशिवरात्रि पर्व है हमारी चेतना को बढ़ाने का और ध्यान के माध्यम से प्राण शक्ति को बढ़ाकर अपने स्त्रोत की ओर ले जाने का..."
· पर, शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? वैसे तो महाशिवरात्रि को लेकर कई कहानियाँ मौजूद हैं। उनमें से कुछ का यहाँ उल्लेख किया जा रहा है:
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कहते हैं महाशिवरात्रि के दिन भगवान् शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था|
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जब देवता और राक्षस अमृत की खोज में समुद्र मंथन कर रहे थे तब मंथन से विष निकला था और स्वयं भगवान शिव ने विष पी कर उसे अपने कंठ में रोक लिया था जिस वजह से उनका शरीर नीला पड़ गया था और उनको “नीलकंठ” भी कहा जाता है। विष पीकर उन्होंने सृष्टि और देवतागण दोनों को बचा लिया तो इसलिए भी शिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है।
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एक और किवदंती यह है कि जब देवी गंगा पूरे उफ़ान के साथ पृथ्वी पर उतर रहीं थी तब भगवान शिव ने ही उन्हें अपनी जटाओं में धरा था। जिससे पृथ्वी का विनाश होने से बच गया था। इसलिए भी इस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और इस दिन शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता है।
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ऐसी मान्यता भी है कि भगवान ने शिवरात्रि के दिन सदाशिव जो कि निराकार रूप हैं, उससे लिंग स्वरुप लिया था। इसलिए भक्त रात भर जागकर भगवान शिव की अराधना करते हैं।
"महाशिवरात्रि के दिन क्या करें:-"
पूजा स्थल पर भगवान शिव की फोटो या शिवलिंग रखें सुर उसके आसपास की जगह को फूलों से सजाएं। पूजा के दौरान भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, नीलकंठ व कमल के फूल अर्पित करें। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का दूध, दही,व गंगाजल से अभिषेक करें। पूजा करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
"महाशिवरात्रि पर घर पर पूजा कैसे करें?"
"महाशिवरात्रि पर घर में ऐसे करें पूजा"
सुबह स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करें और फिर भोलेनाथ के समक्ष निराहार व्रत का संकल्प लें. दिनभर ऊं नम: शिवाय का जाप करें. भोलेनाथ की पूजा में पूजा में त्रिपुंड का विशेष महत्व है. सूर्यास्त के बाद शाम के समय शुभ मुहूर्त में घर में पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें.
"शिवरात्रि पर शिव जी को क्या क्या चढ़ाना चाहिए?"
"भगवान शिव को पसंद नहीं यह फल "
शिवजी की पूजा करते समय शिवलिंग पर बेर, आम, केला, निबौली, बदरी बेर और धतूरे का फल आदि जैसे कई तरह के फल चढ़ाए जाते हैं
"महाशिवरात्रि पूजा/ रूद्र पूजा में सम्मिलित होने से क्या लाभ होता है"
रूद्र पूजा या महाशिवरात्रि पूजा, भगवान शिव के सम्मान में की जाने वाली पूजा है। महाशिवरात्रि के दिन, रूद्र पूजा का बड़ा महत्व है, इस पूजा में विशेष अनुष्ठानों के साथ, वैदिक मंत्रों का उच्चारण भी शामिल है। रूद्र पूजा से वातावरण में सकारात्मकता और पवित्रता का उदय होता है। यह नकारात्मक विचारों और भावनाओं को परिवर्तित कर देता है। पूजा में बैठने से और मंत्रों को सुनने से मन सहज ही गहन ध्यान में उतर जाता है।
इस महाशिवरात्रि पर हमारे साथ उत्सव और दिव्यता का हिस्सा बनिए।
"महाशिवरात्रि मानाने के पीछे वैज्ञानिक, आध्यात्मिक महत्व |"
जैसा कि आप सभी जानते हैं, भगवान शिव त्रिलोकी शक्तियों में एक है। साक्षात शक्ति का स्वरुप है। भगवान शिव को त्रिभुवन की व्यवस्थाओं में संहार का दायित्व दिया गया है। अतः भगवान शिव दुष्टों का विनाश करने, अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित करने, असत्य पर सत्य की विजय स्थापित करने दुष्ट शक्तियों पर दिव्य शक्तियों का प्रभाव स्थापित करने हेतु संहार करते हैं। तथा उस शक्ति का ह्रास करते हैं। हरण करते हैं। जो सत्यता को अप्रकाशित करती है।
यदि हम वैज्ञानिक महत्व की बात करें, तो इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है। कि मनुष्य भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने हेतु व्यक्ति को ऊर्जा कुंज के साथ सीधे बैठना पड़ता है। जिससे रीड की हड्डी मजबूत होती है और व्यक्ति एक सुपर नेचर पावर का एहसास महसूस करते हैं।